उच्च शिक्षा में आगे की पढ़ाई के लिए बैंकों द्वारा दिये गये लोन ने बैंकों की परेशानी को बढ़ा दिया है। इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुताबिक, 2017 के फाइनेंशियल वर्ष में एजुकेशन लोन का कर्ज बढ़कर 5191.72 करोड़ रूपये हो गया है। लोन बढ़ने से बैंकों की परेशानी बढ़ गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2017 तक बैंकों के ऊपर एजुकेशन लोन के मद में कुल 67678 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ा। बता दें कि 2015 के तुलना में यह 47 फीसदी की वृद्धि है। आईबीए डाटा के अनुसार, मार्च 2017 के अंत तक बैंकों शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 671.37 करोड़ रुपए था।
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इस रिस्क को पाटने के लिए सरकार ने हाल ही में आईबीए के मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम में बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद इसके दायरे में ज्यादा छात्रों को लाया जा सकेगा। इसके साथ ही रीपेमेंट पीरियड भी बढ़कर 15 साल हो गया है।
केंद्र सरकार ने क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फॉर एजुकेशन लोन भी शुरू की है, जिसमें 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर 75 फीसदी तक गारंटी दी जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा बैड लोन इंडियन बैंक का था जो 671.37 करोड़ था। उसके बाद नंबर आता है बैंक ऑफ इंडिया का जिसका 538.17 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक का 478.03 करोड़ है।
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बता दें कि सरकारी बैंकों का एनपीए सेक्टर के लिए बड़ी परेशानी
बना हुआ है। बढ़ते एनपीए से सरकारी बैंकों में दबाव है। हलात को बेहतर करने के लिए सरकार ने एनपीए इश्यू के साथ बैंकों के रिवाइवल के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसके लिए सरकार ने 2.11 लाख करोड़ रुपये का रीकैपिटलाइजेशन के प्लान को मंजूरी दी है।